गुरनयन को देख लाला बोले
“लगते तो परदेशी हो”
” इतावा से हूँ। ”
तीस चालीस वर्षो में ज़माना बदल गया
“देश किसी ना किसी बहाने से छूट ही जाता है। हम परदेशी बन जाते है।”
लैण्डहौर में हम सब परदेशी हैं।
“अब लैण्डहौर अपना सा लगता है।”
गुरनयन को देख लाला बोले
“लगते तो परदेशी हो”
” इतावा से हूँ। ”
तीस चालीस वर्षो में ज़माना बदल गया
“देश किसी ना किसी बहाने से छूट ही जाता है। हम परदेशी बन जाते है।”
लैण्डहौर में हम सब परदेशी हैं।
“अब लैण्डहौर अपना सा लगता है।”
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